जों तोड़ ना पाओं तुम समाज का बंधन
जो छोड़ ना पाओं तुम रिवाज़ो का दामन
तो भी मुझे तुम्हारा इंतज़ार रहेगा
अपने प्यार पर भरोसा तुम
पर ऐतबार रहेगा।
जो कभी में तुम्हे चूम ही लेता हूँ तो ख़ता ना समझना
जो कभी तेरे संग झूम ही लेता हूँ तो ख़ता ना समझना
मेरे जीवन का संघर्ष तेरे शहर से होकर निकलता हैं।
कतरा कतरा रूह का मेरी पानी संग भी जलता है।
निस्वार्थ भाव से चाहता हूँ में तुमको अपना माना है।
प्रेम की पावन इस छलनी में पल पल खुद को छाना हैं
तुझ संग जीवन जीने की ये प्यास सदा ही बनी रहे
में भले ही रहूँ नहीं एहसास सदा ही बना रहे।
इन पावन सी रातों में जज्बातो ने दम तोड़ा है
रूह का दामन तुझसे है और तूने ही संग छोड़ा है।
बिन तुम ये धरती चाँद और तारे हो गए गुम
जो हो नहीं सकते मेरे रहनुमा तुम
जी हो नहीं सकते मेरे रहनुमा तुम.......
-ब्लेंक राइटर
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