नाज़ुक

नाज़ुक सा है धागा बंधन
नाज़ुक सा है जीवन संगम
नाज़ुक से ही बादल पर
नाज़ुक सी ही है उमंग
इस नाज़ुक के नाज़ुकपन पर
ना जाने किसने फन फेरा
नाज़ुक ही है मेरा मन.....
जब जब हृदय ललचाया है।
तब तब तू याद आया है।
मेरी आँखों के चित्रपटल पर
चेहरा तेरा उभर आया है।
तेरे चेहरे से शुरू हुआ
आँखों में उतरा जीवन मेरा
नाज़ुक ही है मन मेरा
-ब्लेंक राइटर

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