ताज महल कोई नया..

ताज़महल कोई नया ज़माने में उतर आया है।
लगता है लोगों को  तेरा चेहरा नज़र आया है।

और फिर  गज़ले नग़मे  फ़ीके लगने लगे हमें
तेरी आवाज़ का जादू जो बिखर आया है।

कल रात शायद छत पर  गई थी तुम
चाँद तुम्हें जलाने के लिए और निखर आया है।

यूँ ना बार बार देखा करो आईने में खुदको
ये कम्बकखत आज फिर सवर आया है।

थक कर हार गए थे ज़माने भर के हकीम जब
सुना है उस मरीज़ में तेरे छुने से असर आया है।
-ब्लेंक राइटर

Comments

Popular Posts