"मय मौहब्बत मयखाना"

       "मय मोहब्बत मयखाना"

हमें तेरी आँखों से शराब पीनी है।
आज पीनी कल पीनी बेहिसाब पीनी है।
मयखानो में तो पीया करते है मोहब्बत से हारे लोग
हमें अपनी जीत पर इतरा के पीनी है।
आज पीनी कल पीनी बेहिसाब पीनी है।

मिलन की रात पी ली थी बिरह की रात पीनी है।
तेरे होंठो से जो छलके मुझे वो बात पीनी है।
झलकता रात भर चेहरा निगाहों में तेरा अब तो
कि रातो को बनाके ज़ाम हिज़र की रात पीनी है।
आज पीनी कल पीनी......

नशा ना दर्द देता है नशे से रात भीनी है।
तेरी आँखो में खो जाऊ ना अब ये उम्र जीनी है।
हूँ बहता मय का दरिया में तू मय से है भरा प्याला
तेरे प्याले से वरसा दे हमें बरसात पीनी है।
आज पीनी कल पीनी.....

ज़माना है जो मयखाना तेरी आँखे ज़माना है।
जहाँ पीते है रस भर के वही शोहरत कमाना है।
में हूँ प्याला सुराही तू मिलन अपना है एक हाला
ज़रा सी शर्म कर लू में के अब शरमा के पीनी है
आज पीनी कल पीनी

है तपती धूप से ढलके जो आये शाम पीनी है।
तेरे आगोश में पीनी हमें सरेआम पीनी है।
अज़ब सा शौक है मेरा गज़ब की प्यास जागी है।
ज़माने ने लगाई जो मुझे वो आग पीनी है।
आज पीनी कल पीनी....
-ब्लेंक राइटर
 

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