पथरीले रास्ते

                ""पथरीले रास्ते"

 रात भर चमकता रहा तारों की तरह
जला दिया सूरज मैने सितारों की तरह

कुछ लोग टूट जाते है पहली ही हार से
जमे है अभी पाँव मेरे दीवारों की तरह....

ना गिरने की कोई परवाह ना उड़ने की कोई आशा
खुला पंछी हूँ में कश्मीर के नजारों की तरह....

जो मीठा बोल लेते है वो सबको तोल लेते है।
नमकीन हूँ में समुंदर के किनारों की तरह...

ना करते है कसम पूरी मुक़म्मल ना कोई वादा
फ़ितरत हो गयी है भारत-पाक करारों की तरह

गुनाहों से उठा पर्दा ना कोई शक्स बाक़ी था
में अकेला ही खड़ा रहा हजारों की तरह

सच्चाई बिक नहीं रही उस गरीब की दूकाँ में
जगमगाता है फिर भी शहर के बाज़ारों की तरह

-‪ब्लेंकराइटर‬

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