"उम्मीद"

कभी वो रात आएगी कभी बरसात आएगी
कभी वो प्यार जागेगा मिलन की रात आएगी।


कभी तुम फूल सी कोमल कली का रूप धर लेना..
मेरे अंदर भी भोरे की मधुर सी प्यास जागेगी।

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कभी तुम बह के आना जो नदी की धार में कल कल...
तभी तो प्यास राहगीर सी मेरे जीवन में जागेगी।


तुम्हें पाने की चाहत में जलाता हूँ में सूरज को
किरण हो तुम मोहब्त की तभी तो आग जागेगी


समुंदर की हवाओ ने लिया है आज ये "संकल्प"
लहर जब मिलने आएगी तभी तो साँस जागेगी।

-ब्लेंकराइट

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