जंग है ये ज़िन्दगी

जंग है ये ज़िन्दगी
भंग है ये ज़िन्दगी
सड़को पर लेटी है
तंग है ये ज़िन्दगी।


तू भाग चल किनार से
ना फिर कोई पुकार दे
मरी पड़ी है ज़िन्दगी
ना अब कोई निखार दे।


तंग से कमरे में जंग सी है जिंदगी
मर गयी है ज़िन्दगी, बोझ सी ये जिंदगी।
-ब्लेंक राइटर

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