अधूरी मौहब्बत
कुछ मौहब्बतें शादी तक नहीं पहुँचती
मगर उनका अधूरा सफ़र बहुत प्यार होता है।
जुदा होते है ,रोते है,बिछड़ कर वो
फिर कुछ हसीं यादों का सहारा होता है।
जहां मौहब्बत से जादा इज़्ज़त हो
यकीं मानों वो रिश्ता जहान से न्यारा होता है।
नहीं मिल पाती कुछ कश्तियाँ साहिलों से
बहते समुंदर का ना कोई किनारा होता है।
गर ग्रहण लग जाए अधूरी मौहब्बत का तो
फिर ना जिंदगी में कभी उजियारा होता है।
और कल कुछ लोग कह रहे थे “भूल जा उसे"
कैसे भूलूँ कि उसकी यादों से ही तो अब गुज़ारा होता है।
-ब्लेंक राइटर
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