जय हिन्द

आज जब तिरंगा लहराया जा रहा था।
मुझे उनका बलिदान याद आ रहा था।
उनकी यादों का गुलशन मेरे तन बदन को महका रहा था...

दुआ करता हूँ वो अमर रहे
स्वर्ग में रहे या जिधर रहे
ए खुदा उनको ख़ुशी देना
परिवार को उनके हँसी देना

भगत राजगुरु सुखदेव आज़ाद
क्यों ना रहे आप आज़ादी के बाद
आपका क़र्ज़ हम अब कैसे उतारे
ये देश बिक रहा है पैसों के सहारे

उनको कहना देश में अब
कोई नहीं लाचारी है।
झूट फ़रेब और बेईमानी
सच्चाई पर भारी है।

गाँधी के सिद्धांतो को सबने पढ़कर याद किया।
लिखने और पढ़ने वाले ने वक़्त ही क्यों बर्बाद किया।

ज़र्रा ज़र्रा देश का मेरे तुमको ही करता है याद
लौट आओ ओ वीरों कि
दिल मेरा करता फ़रियाद

जय हिन्द जय भारत भुमि
जय जवान और जय किसान
सच्चाई का मोल लगा है रोटी कपड़ा और मकान

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
कहने को है भाई भाई
कौन है वो जो देश बाटता
ना जाने है कौन कसाई

आज गरीब के बच्चे सड़को पर तिरंगा बेचने जाते है।
बाक़ी 364 दिन तो नेता  देश को बेच के खाते है।

फिर भी भारत देश मेरा हर दम ही फ़ल फूल रहा है।
कोई कर्तव्यों को भूल रहा
तो कोई पैसो में झूल रहा है।
 
जय हिन्द
-ब्लेंक राइटर

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