सुबह

सुबह सुबह धूप को देखा
तुम्हारी तरह खिलती हुई
ना किसी से बात करती है।
अपने ही रंग में जलती हुई।

ये धूप बहुत हसीन है।
समुंदर की तरह नमकीन है।
आओ ज़रा चखो मुझे
में नमकीन ही लगूँगा

तुम आ जाना मुझे चखने के लिए
तब तक में अपना स्वाद बरक़रार रखूँगा
नमकीन ही हूँ में...
शहद हो तुम...
-ब्लेंक राइटर

Comments

Popular Posts