तुम

सतरँगी आँखे आँखों में चमकता नूर....
काली काली झील सी गहरी आँखे चुप रहती है।
ना जाने क्या कहती है...

सावन सी घटाओ से गहरे काले लंबे बाल...
घनी जुल्फे और उनकी छाव में पलता खूबसूरत चेहरा

इन घनी जुल्फों ने जो आपकी आँखों को ढक रखा है लग रहा है मानो बादल ने ढक लिया हो अपने चाँद को...

गुलाब जैसी पँखुड़ी से होंठो पर मुस्कान ऐसी बिखरी रहती मानो शहद के समुंदर में होले होले लहरें मचल रही हो....

सुडोल कंधो के नीचे जन्नत के सबसे हुनरमंद कलाकार द्वारा तराशा गया बदन...

और रंग ऐसा जैसे खुदा ने मिट्टी में चाँदनी मिलाकर गढ़ी हो आपकी मूरत....

आप बहुत खूबसूरत है,चाँद का अक्श है...
जो हवा आपको हो कर गुज़रती होगी...
आपके शहर की उन हवाओ में
शहर की उन फिज़ाओ में
कुछ ऐसी मादकता घुल जाती होगी जो किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी है...

फ़क़त आपका मन आपका दिल भी इतना कोमल होगा
जैसे गँगा जल से सींचै हुए चन्दन के पेड़ के समान हो...

वल्लाह ने कितना खूबसूरत बनाया है आपको...
आप अगर सूरज के सामने अपनी कलाई रख दे
तो सूरज की रौशनी फीकी पड़ जाए...

समुंदर के खारे पानी को अपने होंठो से लगाए तो समुन्दर मीठा हो जाए...
मुर्दे से दो लफ्ज़ कह दे तो मुर्दा जी उठे....

आपको देख कर लगता है।
सारी कायनात इस तराशी गयी काया में समा गयी हो...

इन चंद अल्फाज़ो में आपको बयां करने की एक नाकाम कोशिश ...
-ब्लेंक राइटर

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