मानव तस्करी
'ना ज़मीं ख़ुद की है,न ख़ुदका है आसमान…
ना कोई सपना उन आँखों में, ना ख़्वाबों का कोई निसां'
जिस्म,बचपन ,रूह बिकती है चंद हज़ारों में
मानवता नंगी नाचती है बीच बाज़ारों में
हर गली ,शहर बिक रही है औरतें
देश तरक़्क़ी कर रहा है सिर्फ़ अख़बारों में
-ब्लेंक राइटर
मानव और मानव के अँगो की ,मानव के लिए ,मानव के द्वारा की जाने वाली गेरकानूनी गतिविधियाँ मानव तस्करी कहलाती है।
-संकल्प जैन
‘किसी व्यक्ति को डराकर, बलप्रयोग कर या दोषपूर्ण तरीके से भर्ती, परिवहन या शरण में रखने की गतिविधि तस्करी की श्रेणी में आती है’। मतलब किसी की इच्छा के विरुद्ध उसे किसी कार्य के लिए मजबूर करना।
-संयुक्त राष्ट्र
तस्करी की वजह-अत्यधिक ग़रीबी, शिक्षा का अभाव , सरकारी नीतियों और कानूनो में लचिलापन बच्चियों को मानव तस्करी के नर्क में धकेल देता है।
समाज का वह तबक़ा जिसके ऊपर कुबेर और लक्ष्मी दोनो मेहरबान हो उस तबके की हर प्रकार से सेवा के लिए जब इंसानों को ख़रीदा जाने लगता है तब मानव तस्करी जन्म लेती है। जब किसी लाचार ,मजबूर को पैसों के लिए अपना तन,मन अपना ज़मीर सब बेचना पड़ जाए और किसी अमीर के शौक़ को पूरा करना उनकी मजबूरी ही नहीं उनका धर्म बन जाए तब शर्म से पानी पानी हो जाती है मानवता और जन्म लेती है तस्करी।
नशीली दवाओं (ड्रग्स) और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है।
विश्व में 80 प्रतिशत से ज्यादा मानव तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है, और बाकी बंधुआ मजदूरी के लिए। भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है। वही झारखंड और पश्चिम बंगाल को भारत का गंढ़ माना जाता है।यक़ीं मानिए मानव तस्करी सबसे घिनौना अपराध हैं।
महत्वपूर्ण आँकड़े-
1.हमारे देश में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है।
2.टाइम्स आॅफ इंडिया में प्रकाशित एक लेख के अनुसार मानव तस्करी के मामले में कर्नाटक भारत में तीसरे नंबर पर आता है।
3.सन् 2011 में लगभग 35,000 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज हुई जिसमें से 11,000 से ज्यादा तो सिर्फ पश्चिम बंगाल से थे।
4.संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के द्वारा मानव तस्करी पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि सन् 2012 में तमिलनाडु में मानव तस्करी के 528 मामले थे।
5.गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 4 सालों में कर्नाटक में मानव तस्करी के 1379 मामले रिपोर्ट हुए, तमिलनाडु में 2244 जबकि आंध्र प्रदेश में मानव तस्करी के 2157 मामले थे। फस्र्टपोस्ट के एक लेख के अनुसार दिल्ली भारत में मानव तस्करी का गढ़ है और दुनिया के आधे गुलाम भारत में रहते हैं। दिल्ली घरेलू कामकाज, जबरन शादी और वेश्यावृत्ति के लिए छोटी लड़कियों के अवैध व्यापार का हाॅटस्पाॅट है।
-(सभी सरकारी आँकड़े)
-यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक़ तमिलनाडु लड़कियों की तस्करी मुंबई और दिल्ली के रेड लाइट इलाक़ों में करता है.
-वर्ष 2009 से 2014 के बीच ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में 92% इज़ाफ़ा हुआ।
क़ानून-
इम्मॉरल ट्रैफिकिंग प्रिवेंशन एक्ट1986 (आईटीपीए) के मुताबिक़ अगर व्यापार के इरादे से ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है, तो 7 साल से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है. इसी तरह से बंधुआ मंज़दूरी से लेकर चाइल्ड लेबर तक के लिए विभिन्न क़ानून व सज़ा का प्रावधान है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या क़ानून को क्रियान्वित करने की ही है.
– बात अगर सज़ा की की जाए, तो पिछले 5 सालों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के फाइल्ड केसेस में 23% में दोष सिद्ध हुआ.�– इस मामले में लगभग 45,375 लोगों की गिरफ़्तारी हुई और 10,134 लोगों को दोषी क़रार दिया गया, जिसमें जुर्माने से लेकर जेल तक की सज़ा दी गई.
– पिछले 5 सालों में आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक गिरफ़्तारियां हुईं, लगभग 7, 450 के क़रीब. महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर आता है, उसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल हैं.
– इन बढ़ते मामलों की एक वजह यह भी हो सकती है कि अब मामले अधिक दर्ज होने लगे हैं.
– इसके अलावा महिला व बाल विकास विभाग ने भी पीड़ितों के बचाव व पुनर्वसन के लिए अपने प्रयास तेज़ किए हैं.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग दो करोड़ 10 लाख लोग तस्करी का शिकार हुए हैं जिनमे 53 फ़ीसदी लोगों का शोषण सेक्स इंडस्ट्री में हुआ
जनाब क़ानून बनते रहेंगे और टूटटे रहेंगे ज़रूरत है एक ऐसा क़ानून बनाने की जिससे हम वापस मानव बन सके। और ऐसा क़ानून कोई सरकार नहीं हमें ख़ुद बनाना होगा स्वंम के कल्याण के लिए।
सोचने योग्य बात है जिस देश में नारी को पूजा जाता हो उसी देश में नारी को बेचा जा रहा है।
किसी भी देश की तरक़्क़ी उस देश की महिलाओं की स्थिति से पता चलती है।
सरकार और बहुत सारे ngo इस दिशा में काम कर रहे है ।हमें ज़रूरत है उनके साथ मिलकर एक ऐसे वातावरण को तैयार करने की जिसमें हमारे देश की महिलाएँ ,बच्चे एक सुखद जीवन जी सके।
और अगर हम ऐसा नहीं करते तो यक़ीं मानिए हमें मानव होने का कोई हक़ नहीं।
क्यूँकि मानव होकर मानव की तस्करी करना मानवता की मृत्यु है-संकल्प जैन
ना कोई सपना उन आँखों में, ना ख़्वाबों का कोई निसां'
जिस्म,बचपन ,रूह बिकती है चंद हज़ारों में
मानवता नंगी नाचती है बीच बाज़ारों में
हर गली ,शहर बिक रही है औरतें
देश तरक़्क़ी कर रहा है सिर्फ़ अख़बारों में
-ब्लेंक राइटर
मानव और मानव के अँगो की ,मानव के लिए ,मानव के द्वारा की जाने वाली गेरकानूनी गतिविधियाँ मानव तस्करी कहलाती है।
-संकल्प जैन
‘किसी व्यक्ति को डराकर, बलप्रयोग कर या दोषपूर्ण तरीके से भर्ती, परिवहन या शरण में रखने की गतिविधि तस्करी की श्रेणी में आती है’। मतलब किसी की इच्छा के विरुद्ध उसे किसी कार्य के लिए मजबूर करना।
-संयुक्त राष्ट्र
तस्करी की वजह-अत्यधिक ग़रीबी, शिक्षा का अभाव , सरकारी नीतियों और कानूनो में लचिलापन बच्चियों को मानव तस्करी के नर्क में धकेल देता है।
समाज का वह तबक़ा जिसके ऊपर कुबेर और लक्ष्मी दोनो मेहरबान हो उस तबके की हर प्रकार से सेवा के लिए जब इंसानों को ख़रीदा जाने लगता है तब मानव तस्करी जन्म लेती है। जब किसी लाचार ,मजबूर को पैसों के लिए अपना तन,मन अपना ज़मीर सब बेचना पड़ जाए और किसी अमीर के शौक़ को पूरा करना उनकी मजबूरी ही नहीं उनका धर्म बन जाए तब शर्म से पानी पानी हो जाती है मानवता और जन्म लेती है तस्करी।
नशीली दवाओं (ड्रग्स) और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है।
विश्व में 80 प्रतिशत से ज्यादा मानव तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है, और बाकी बंधुआ मजदूरी के लिए। भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है। वही झारखंड और पश्चिम बंगाल को भारत का गंढ़ माना जाता है।यक़ीं मानिए मानव तस्करी सबसे घिनौना अपराध हैं।
महत्वपूर्ण आँकड़े-
1.हमारे देश में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है।
2.टाइम्स आॅफ इंडिया में प्रकाशित एक लेख के अनुसार मानव तस्करी के मामले में कर्नाटक भारत में तीसरे नंबर पर आता है।
3.सन् 2011 में लगभग 35,000 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज हुई जिसमें से 11,000 से ज्यादा तो सिर्फ पश्चिम बंगाल से थे।
4.संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के द्वारा मानव तस्करी पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि सन् 2012 में तमिलनाडु में मानव तस्करी के 528 मामले थे।
5.गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 4 सालों में कर्नाटक में मानव तस्करी के 1379 मामले रिपोर्ट हुए, तमिलनाडु में 2244 जबकि आंध्र प्रदेश में मानव तस्करी के 2157 मामले थे। फस्र्टपोस्ट के एक लेख के अनुसार दिल्ली भारत में मानव तस्करी का गढ़ है और दुनिया के आधे गुलाम भारत में रहते हैं। दिल्ली घरेलू कामकाज, जबरन शादी और वेश्यावृत्ति के लिए छोटी लड़कियों के अवैध व्यापार का हाॅटस्पाॅट है।
-(सभी सरकारी आँकड़े)
-यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक़ तमिलनाडु लड़कियों की तस्करी मुंबई और दिल्ली के रेड लाइट इलाक़ों में करता है.
-वर्ष 2009 से 2014 के बीच ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में 92% इज़ाफ़ा हुआ।
क़ानून-
इम्मॉरल ट्रैफिकिंग प्रिवेंशन एक्ट1986 (आईटीपीए) के मुताबिक़ अगर व्यापार के इरादे से ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है, तो 7 साल से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है. इसी तरह से बंधुआ मंज़दूरी से लेकर चाइल्ड लेबर तक के लिए विभिन्न क़ानून व सज़ा का प्रावधान है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या क़ानून को क्रियान्वित करने की ही है.
– बात अगर सज़ा की की जाए, तो पिछले 5 सालों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के फाइल्ड केसेस में 23% में दोष सिद्ध हुआ.�– इस मामले में लगभग 45,375 लोगों की गिरफ़्तारी हुई और 10,134 लोगों को दोषी क़रार दिया गया, जिसमें जुर्माने से लेकर जेल तक की सज़ा दी गई.
– पिछले 5 सालों में आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक गिरफ़्तारियां हुईं, लगभग 7, 450 के क़रीब. महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर आता है, उसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल हैं.
– इन बढ़ते मामलों की एक वजह यह भी हो सकती है कि अब मामले अधिक दर्ज होने लगे हैं.
– इसके अलावा महिला व बाल विकास विभाग ने भी पीड़ितों के बचाव व पुनर्वसन के लिए अपने प्रयास तेज़ किए हैं.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग दो करोड़ 10 लाख लोग तस्करी का शिकार हुए हैं जिनमे 53 फ़ीसदी लोगों का शोषण सेक्स इंडस्ट्री में हुआ
जनाब क़ानून बनते रहेंगे और टूटटे रहेंगे ज़रूरत है एक ऐसा क़ानून बनाने की जिससे हम वापस मानव बन सके। और ऐसा क़ानून कोई सरकार नहीं हमें ख़ुद बनाना होगा स्वंम के कल्याण के लिए।
सोचने योग्य बात है जिस देश में नारी को पूजा जाता हो उसी देश में नारी को बेचा जा रहा है।
किसी भी देश की तरक़्क़ी उस देश की महिलाओं की स्थिति से पता चलती है।
सरकार और बहुत सारे ngo इस दिशा में काम कर रहे है ।हमें ज़रूरत है उनके साथ मिलकर एक ऐसे वातावरण को तैयार करने की जिसमें हमारे देश की महिलाएँ ,बच्चे एक सुखद जीवन जी सके।
और अगर हम ऐसा नहीं करते तो यक़ीं मानिए हमें मानव होने का कोई हक़ नहीं।
क्यूँकि मानव होकर मानव की तस्करी करना मानवता की मृत्यु है-संकल्प जैन
As a girl, my inner soul has shivered seeing the figures..!!
ReplyDelete