चाँद और तुम

चाँद निकलने की फ़िराक़ में रहता है 

हाँ तुमको देखने की ताक में रहता है...।


तुम आ जाया करो कुछ देर छत पर टहलने

सितारों का जमघट भी इसी आस में रहता है...।


झूठ के सहारे चल रही है यह दुनिया सदियों से

ज़माने को लगता है चाँद आकाश में रहता है...।


वक़्त को बाँध ले यह नेमत खुदा चंद को बक्शता है

दरिया की गहराई का राज बंदे की प्यास में रहता है..।


मैं मान चुका हूँ तुम्हें अपने सफ़र की मंज़िल

मैं वो रास्ता नहीं जो मुसाफ़िर की तलाश में रहता है...।

-ब्लेंक़ राइटर

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