Republic Day and India



भारत  को मैं  जान लिखूँ या दुनिया का अभिमान लिखूँ

लिख दूँ कश्मीर की ख़ूबसूरती ,सपनो का मैं नाम लिखूँ

लिखने को तो बहुत है लेकिन दिल ने मेरे यही कहा

वीरों के बलिदान की गाथा , शेरों का सम्मान लिखूँ।

-संकल्प जैन (ब्लेंक  राइटर)

हम सब राष्ट्र सेवक हैं और हम सब राष्ट्र कर्तव्य निभा रहे हैं। 

 

चेतावनी - कृपया अपनी रिस्क पर पढ़े , मेरा लेख आपकी देश भक्ति का चोला उतार सकता है। 

30 days to go for birthday  वाले दौर की हम जनरेशन गणतंत्र दिवस पर स्टेटस में तिरंगा और देश रंगीला रंगीला गाना लगा कर अपनी देश भक्ति साबित कर देते हैं। 

ज्यादा देश भक्ति  दिखाने का एक और मुफ्त तरीका है , लड़के तिरंगे को सलामी देते हुए कोई पुराना फोटू चिपका देते हैं।  और लड़कियां अपने मखमल से गालों पर तिरंगा बना लेती है , साथ ही सफ़ेद सूट के साथ  केसरिया और हरी चुननी। वैसे एक विशेष वर्ग को हरे रंग से नफरत है और केसरिया, चुननी हो तो चलेगा दीपिका पादुकोण की बिकनी का रंग केसरिया नहीं होना चाहिए। खैर सबसे जादा देश भक्ति का ढोंग वही कर रहे हैं जो असल मे छपरी निब्बे हैं।  व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के छात्र देशभक्तों कि क़तर मे सबसे आगे मिलेंगे।  

मेरा मानना है कि देशभक्त होने की कोई ज़रुरत ही नहीं अगर आप देश द्रोही नहीं है। और हर वो इंसान जो संविधान के खिलाफ कोई भी काम करता है वह देश द्रोही है। 

मेरा लेख पढने के बाद आप स्वयं  से सवाल ज़रूर कीजियेगा की आप देश द्रोही है या देश भक्त।

संविधान आपसे तीन सवाल पूछता है जिनके जवाब तय करेंगे कि आप क्या है। 

१. क्या आप किसी धर्म , जाति, भाषा से नफरत करते है.?

२. क्या आप भारत को किसी एक विशेष धर्म का राष्ट्र बनाना चाहते हैं.?

३. क्या आप किसी व्यक्ति या संस्था को संविधान से ऊपर मानते है ?

अगर ना तो आप देश भक्त है वरना देश द्रोही। 

और अब अपने दिल पर हाथ रखिये और बताइए आप क्या हैं? देश भक्त है तो ठीक वरना अपना स्टेटस तुरंत डिलीट कर दीजियेगा। देश हित में आप सिर्फ इतना ही कर सकते हैं।   क्यूंकि अगर आप किसी भी प्रकार के भेदभाव, जातपात में यकीन रखते हैं, तो आपको इस दिन को मानाने का कोई हक नहीं है। 

इतिहास -  15 अगस्त, 1947 को भारत आज़ाद हुआ , उस वक़्त भारत का कोई संविधान नहीं था।  जो कानून उस समय थे, वे एक सामान्य कानून प्रणाली और "भारत सरकार अधिनियम, 1935" के एक संशोधित संस्करण पर आधारित थे, जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा लाया गया था।  लगभग 15 दिन बाद  डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का ढांचा तैयार करने हेतु एक समिति नियुक्त की गई और  26 नवंबर, 1949 को संविधान तैयार हुआ और इसे स्वीकार किया गया।  दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' द्वारा 26 जनवरी 1930, को पूर्ण स्वराज की मांग उठाते हुए देशवासियों से इस दिन को 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाने की अपील की गई थी। इसी दिन की याद में 26 नवंबर 1949 को तैयार संविधान को दो महीने बाद अर्थात 26 जनवरी 1950 से लागू करने का निश्चय किया गया, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में जानते हैं। देश आज  74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 

आइये गणतंत्र  के मायने समझते हैं...... 


 संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणतंत्र

संप्रभु: 'संप्रभु' का तात्पर्य है कि भारत न तो किसी अन्य राष्ट्र पर निर्भर है, बल्कि एक स्वतंत्र राज्य है। इसके ऊपर किसी का कोई अधिकार नहीं है, यह अपने मामलों का संचालन करने हेतु स्वतंत्र है।

लोकतांत्रिक: यह ‘लोकप्रिय संप्रभुता’ के सिद्धांत पर आधारित है, अर्थात सर्वोच्च शक्ति का अधिकार आम लोगों के पास होता है।

गणतंत्र: प्रस्तावना इंगित करती है कि भारत में एक निर्वाचित प्रमुख होता है ,जिसे राष्ट्रपति कहा जाता है। वह अप्रत्यक्ष रूप से पाँच वर्ष की निश्चित अवधि के लिये चुना जाता है।

जनता का शासन, जनता के द्वारा , जनता के लिए शासन 

कानून - इसका अर्थ यह हुआ कि  कोई भी संस्थान ना संसद, ना कार्यपालिका, ना ब्यूरोक्रेसी और ना ही न्यायपालिका सर्वोपरि है बल्कि जनता सर्वोपरि है।  गणतंत्र में कानून का शासन होता है। देश 'संविधान' के अनुसार चलता है।  इसका अर्थ यह हुआ कि भारत का शासन किसी व्यक्ति, संस्थान, समाज या धर्म की मर्जी से नहीं  कानून के अनुसार चलेगा।  अर्थात कोई भी जनप्रतिनिधि या जनसेवक किसी मुद्दे पर निर्णय लेना चाहता है तो उसे संविधान के दायरे में ही रह कर कार्य करना होगा।

समानता - भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के अनुसार  किसी भी भारतीय के साथ धर्म, जाति, रंग, लिंग, वंश, वर्ग या जन्म स्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं किया जाएगा।

मूलभूत स्वतंत्रताओं का अधिकार - भारतीय संविधान के  आर्टिकल 19 के अनुसार हर  नागरिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक  एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता, भारत के अन्दर  कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी भाग में बसने और निवास करने की स्वतंत्रता तथा कोई भी पेशा अपनाने की स्वतंत्रता है। इन अनुच्छेदों में कुछ प्रतिबंध भी शामिल हैं जिन्हें विशेष परिस्थितियों में राज्य द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर लागू किया जा सकता है।

शोषण के विरुद्ध अधिकार -  आर्टिकल 23 से 24 में राज्य या व्यक्तियों द्वारा समाज के कमजोर वर्गों का शोषण रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं। अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव तस्करी प्रतिबन्धित है। 

धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार- आर्टिकल 25 से 28 सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य सुनिश्चित करता है। संविधान के अनुसार, भारत का कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है और राज्य द्वारा सभी धर्मों के साथ निष्पक्षता और तटस्थता से व्यवहार किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 25 सभी लोगों को विवेक की स्वतंत्रता तथा अपनी पसंद के धर्म के उपदेश, अभ्यास और प्रचार की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य तथा राज्य की सामाजिक कल्याण और सुधार के उपाय करने की शक्ति के अधीन होते हैं।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार -भारतीय संविधान का आर्टिकल 32 स्वयं एक मूल अधिकार के रूप में, अन्य मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए गारंटी प्रदान करता है। संवैधानिक उपचारों का अधिकार नागरिकों को अपने मूल अधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध सुरक्षा के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में जाने की शक्ति देता है। 

अगर आप संविधान के अनुसार देश भक्त है तो सिर्फ निरंतर आगे बढ़ते रहिये। मौहब्बत बांटते रहिये। और अगर आप देश द्रोही हैं तो आपके पास दो तरीके है।  

1. पहला  तो यह कि देश में एक राजनैतिक पार्टी है उसे ज्वाइन कर लीजिये।  फिर तो आप से बड़ा देश भक्त कोई नहीं होगा। 

2. दूसरा तरीका जो थोडा सा कठिन है परन्तु यह आपको  देश भक्त के साथ साथ इंसान भी  बना देगा, वह तरीका यह है कि समावेश की भावना को अपनाए क्यूंकि इसके  बिना भारत के विकास की कोई भी अवधारणा पूरी नहीं हो सकती है। भारत का बहुलवाद इसकी सबसे बड़ी ताकत है और दुनिया के लिये यह सबसे बड़ा उदाहरण है। बचपन मे पढ़ा भी था हमने कि  विविधता मे एकता भारत कि विशेषता। राष्ट्र को सभी वर्गों और सभी समुदायों को प्यार करें, ताकि देश एक ऐसे परिवार में बदल जाए। 

मुझे  पूरी उम्मीद है कि एक राजनैतिक दल और उसके अंध भक्त आज के  पवित्र दिन संविधान की इज़्ज़त करने का प्रण लेंगे। 

राहत इंदौरी साहब की यह  ग़ज़ल हर हिन्दुस्तानी को याद रखना चाहिए 

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो, जान थोड़ी है ,
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है । 

लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में 
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है । 

मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन 
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है । 

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है 
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है । 

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है । 

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में 
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है। 
 

-संकल्प जैन (ब्लेंक राइटर )

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Should I write my life to India or the pride of the world,
should I write the beauty of Kashmir, should I write the names of my dreams, 
there is a lot to write, but my heart told me to write
the story of the sacrifice of the heroes, the honor of the lions. 
-Sankalp Jain (Blank Writer)

We all are national servants and we all are doing our national duty. 

Warning - Please read at your own risk, my article may take away your patriotism.

We generation of 30 days to go for birthday prove our patriotism by putting Tricolor and Desh Rangila Rangila song in status on Republic Day. Another free way to show more patriotism is by pasting old photos of boys saluting the tricolor. And the girls make a tricolor on their cheeks with velvet, along with white suits with saffron and green chunni. By the way, a special class hates green and saffron, chunni ho to chalega Deepika Padukone's bikini color should not be saffron. Well, the most pretending to be patriotism is being done by those who are actually Chhapri Nibbe. Students of WhatsApp University will be at the forefront of the line of patriots. 

I believe that there is no need to be a patriot if you are not anti-national. And every person who does any work against the constitution is a traitor. After reading my article, you must ask yourself whether you are a traitor or a patriot. 

The Constitution asks you three questions, the answers to which will determine what you are. 

1. Do you hate any religion, caste, language.? 

2. Do you want to make India a nation of any particular religion.? 

3. Do you consider any person or institution above the constitution?

If not, then you are a patriot, otherwise you are a traitor.

And now put your hand on your heart and tell me what are you?

If you are a patriot, then it is okay, otherwise you delete your status immediately. You can only do so much in the interest of the country. Because if you believe in any kind of discrimination, casteism, then you have no right to celebrate this day.

History - India became independent on August 15, 1947, at that time there was no constitution of India. The laws that were in place at that time were based on a common law system and a modified version of the "Government of India Act, 1935", which was brought in by the British government. About 15 days later Dr. B. R. Under the chairmanship of Ambedkar, a committee was appointed to prepare the framework of the Indian Constitution and on November 26, 1949, the constitution was prepared and accepted. The constitution came into force two months later on 26 January 1950. On January 26, 1930, the 'Indian National Congress' appealed to the countrymen to celebrate this day as 'Independence Day' raising the demand for complete independence. In memory of this day, it was decided to implement the constitution prepared on 26 November 1949 after two months i.e. from 26 January 1950, which we know as Republic Day. The country is celebrating 74th Republic Day today. 

Let's understand the meaning of republic......

Sovereign, Democratic, Republic Sovereign: 'Sovereign' implies that India is neither dependent on any other nation, but is an independent state. No one has any authority over it, it is free to conduct its affairs. 

Democratic: It is based on the principle of 'popular sovereignty', that is, the right of supreme power rests with the common people. 

Republic: The Preamble indicates that India has an elected head of state called the President. He is elected indirectly for a fixed term of five years. 

Rule of the people, by the people, rule for the people,

law - This means that no institution, neither parliament, nor executive, nor bureaucracy, nor judiciary is paramount, but the public is paramount. There is rule of law in a republic. The country is run according to the 'constitution'. This means that the governance of India will not run according to the will of any person, institution, society or religion, according to the law. That is, if any public representative or public servant wants to take a decision on any issue, then he will have to work within the ambit of the constitution. 

Equality - According to Articles 14 to 18 of the Indian Constitution, no Indian shall be discriminated against on grounds of religion, caste, colour, sex, descent, class or place of birth. 

Right to Fundamental Freedoms - According to Article 19 of the Indian Constitution, every citizen has freedom of expression, freedom to assemble and assemble peacefully, freedom to move anywhere within India, freedom to settle and reside in any part of India And there is freedom to adopt any profession. These articles also contain certain restrictions that can be imposed on personal liberty by the state in special circumstances. 

Right against Exploitation - In Articles 23 to 24, provisions have been made to prevent exploitation of weaker sections of the society by the State or individuals. According to Article 23 human trafficking is prohibited.

Right to freedom of religion, culture and education - Articles 25 to 28 provide religious freedom to all citizens and ensure a secular state in India. According to the constitution, India has no official state religion and all religions must be treated fairly and neutrally by the state. Article 25 guarantees freedom of conscience to all persons and the freedom to profess, practice and propagate the religion of their choice. However, these rights are subject to public order, morality and health and the power of the state to take measures for social welfare and reform.

Right to Constitutional Remedies - Article 32 of the Indian Constitution, being a Fundamental Right itself, guarantees the enforcement of other Fundamental Rights. The Right to Constitutional Remedies empowers citizens to approach the Supreme Court of India for protection against violation of their fundamental rights. 


If you are a patriot according to the constitution, then just keep moving forward. Keep sharing the love. And if you are a traitor then you have two options. 

1. First of all, there is a political party in the country, join it. Then there will be no bigger patriot than you. 

2. The second way which is a bit difficult but it will make you a patriot as well as a human being, that way is to adopt the spirit of inclusiveness because without this no concept of India's development can be completed. India's pluralism is its biggest strength and it is the biggest example for the world. We had read in our childhood that unity in diversity is the specialty of India. Make the nation love all classes and all communities, so that the country turns into one such family.

I have full hope that a political party and its blind followers will take a vow to respect the Constitution on this auspicious day. Every Indian should remember this ghazal of Rahat Indori Sahab,

 If there is opposition, let it happen, life is little,
 all this is smoke, there is little sky. 

If there is a fire, many houses will come in stubbornness. 
Here only our house is small. 

I know that the enemies are also not less
but like us there is little life on our palm. 

What comes out of our mouth is only righteousness.
 Your tongue is a little in our mouth.

Those who are like-minded today, 
will not be there tomorrow, they are tenants, they have few houses. 

Everyone's blood is involved in the soil here; 
India of someone's father is little.

Sankalp Jain (Blank Writer)









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