Shikhar Ji
प्रिय सम्मेद शिखर जब तुम्हे मेरा यह यह पत्र प्राप्त हो तो मुझे एक बार फिर अपने पास बुला लेना।
श्री सम्मेद हम दोनों ही यह जानते है कि सरकारें आयेंगी , जाएंगी
मनुष्य जीवन खत्म हो जाएगा। मगर तुम्हारा अस्तित्व कल भी पवित्र था , आज भी है और कल भी रहेगा। तुम्हारा नाम ही काफी है जीवन को धन्य करने के लिए।
तुम्हारा वजूद खुदमे ही संपूर्ण है। तुम्हे खुदको सम्मेद साबित करने के लिए किसी और समाज, सरकार या हम जैसे इंसानों की जरूरत नहीं।
क्यूंकि तुम हो तो हम है , हम हैं तो भारत देश है। तुम नहीं तो कुछ भी नहीं....।
तुम्हारे गुणगान करना , वैसे ही है जैसे मानो सूरज को दिया दिखाना।
तुम्हारी पवित्रता, आभा, खूबसूरती, और कण कण में करोड़ों मुनियों के तप की गाथा तुम्हे स्वयं में ही स्वर्ग बनाती है।
प्रिय सम्मेद शिखर जी ....
तुम्हें कोई छू नही सकता सिर्फ महसूस कर सकता हैं। और महसूस करने के लिए जो तप चाहिए वह कोई आम आदमी नहीं कर सकता। 30 किलोमीटर नंगे पांव ,बिना कुछ खाए पिए जब तुम्हारे भक्त तुम तक पहुंचते है तब जाके हम भक्त तुम्हे महसूस कर पाते हैं l। दुनिया की तमाम खुबसूरत जगहों को एक तरफ रख दिया जाए फिर भी तुम्हारा मुकाबला असम्भव है। क्योंकि पर्वतराज तुम स्वयं में ही स्वर्ग हो। तुमने मुझे वह सब दिया जिसका में हकदार था।
5 सितंबर को आखरी मुलाकात हुई थी तुमसे मगर बेहद जल्द फिर मुलाकात होगी....❤️❤️
तुम्हारे चरणों में मेरा प्रणाम स्वीकार करो प्रभु 🙏
सदैव तुम्हारी लंबी उम्र की कामना करने वाला...
संकल्प जैन
🙏🙏❤️
Dear Sammed Shikhar, when you receive this letter of mine, call me once again.
Mr. Sammed, we both know that governments will come and go.
Human life will end. But your existence was holy yesterday, it is today and will remain so tomorrow. Your name is enough to bless life.
Your existence is complete in itself. You don't need any other society, government or humans like us to prove yourself respected.
Because if you are there then we are, if we are then India is the country. If not you then nothing.....
Praising you is like showing a lamp to the sun.
Your purity, aura, beauty, and the saga of tenacity of crores of sages in every particle makes you a heaven in itself.
Dear Sammed Shikhar ji....
No one can touch you, only feel you. And no common man can do the penance required to feel it. When your devotees reach you 30 kilometers barefoot, without eating or drinking anything, then we devotees are able to feel you. Even if all the beautiful places of the world are put aside, your competition is impossible. Because Parvatraj, you are heaven in yourself. You gave me everything I deserved.
Last met you on 5th September but will meet again very soon....❤️❤️
Accept my salutations at your feet Lord
Always wishing you a long life...
Sankalp Jain
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