Jawahar Navodaya Vidyalaya where diamonds are made


रंग जाति पद भेद रहित, हम सबका एक भगवान हो

संतान हैं धरती माँ की हम, धरती पूजा स्थान हो

पूजा के खिल रहे कमल दल, हम भावजल में हों

सर्वोदय के नव बसंत के, हमी नवोदय हों

हम नव युग की नयी भारती नयी आरती



वक़्त कभी नहीं रुकता मगर यह  पंक्तिया आज भी हर एक नवोदयन को  कुछ पल के लिए ठहर जाने के लिए काफी है।  अगर मैं कहूँ कि भारत की असल  तस्वीर और तकदीर नवोदय ही है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। रंग रूप , जात पात , ऊँच नीच , भेदभाव इन सब बुराइयों की  इस स्वर्ग मे कोई जगह ही नहीं होती। प्रज्ञान ब्रम्ह यानी कि पवित्र ज्ञान परमात्मा के समान। स्वतंत्र भारत की दूसरी शिक्षा नीति  के तहत 13 अप्रैल 1986 को तात्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी जी ने इस स्वर्ग से भी खूबसूरत स्कूल की स्थापना की  थी। 

विषमताओं को दूर करने और शैक्षिक अवसरों को समान करने के लिए यह नीति पेश की थी. राजीव जी का उद्देश साफ़ था, सभी को बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराना। तमिलनाडु को छोड़कर देश के विभिन्न हिस्सों , विशेषकर गाँवों के बच्चो के लिए भारत के हर जिले में यह आवासीय और निशुल्क स्कूल खोले गए. जवाहर नवोदय विद्यालयों में प्रवेश मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए है, जिसमें ग्रामीण बच्चों के लिए कम से कम 75% सीटें उपलब्ध हैं। जिले में एससी और एसटी समुदाय के बच्चों के लिए उनकी आबादी के अनुपात में सीटें आरक्षित हैं लेकिन राष्ट्रीय औसत से कम नहीं। 1/3 सीटें छात्राओं द्वारा भरी जाती हैं। 3% सीटें विकलांग बच्चों के लिए हैं। प्रवेश हेतु कक्षा 5 के विद्यार्थियों के लिये प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसके लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है, आवेदक कक्षा 5 का अभ्यर्थी होना चाहिए। प्रत्येक जिले से 80 छात्रों का चयन किया जाता है।

पायलट प्रोजेक्ट के तहत  शुरूआती दो मॉडल स्कूल झज्जर हरियाणा और अमरावती महाराष्ट्र मे खोले गए थे. 1991 मे नवोदय विद्यालय के नाम जवाहर नवोदय विद्यालय कर दिया गया।  आज भारत में 661 नवोदय विद्यालय है जिनसे अब तक लगभग २० लाख से ज्यादा छात्रों ने शिक्षा प्राप्त की है।

नवोदय की गुणवत्ता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि 20  लाख नवोदय आज भारत ही नहीं दुनिया के हर हिस्से में अपना परचम लहरा रहें है.   डॉक्टर, इंजिनियर , सिविल सर्वेन्ट्स , सीए , पॉलिटिक्स , सोशल वर्क , व्यापार , ऐसी कोई फील्ड नहीं जहाँ नवोदयन ना हो। और यकीन मानिए जहाँ यह होते है वह यहीं बेस्ट होते है।  कक्षा 6 से 12 तक 7 साल एक बच्चा वहां वह सब कुछ हासिल करता है जो उसे औरों से बेहतर बनाता है।  नवोदय की सबसे खूबसूरत खासियत यह है कि ये संस्थान आपको इंसान बनाता है, जिन्दगी का फलसफा , दोस्ती के सही मायने सिखाता है. ६वी क्लास मे शुरू हुई दोस्ती कभी ख़त्म नहीं होती और ना ही नवोदयन के कभी और लोग दोस्त बन पाते है।  इनकी एक अलग ही दुनिया है. 

वन्स अ नवोयन , ऑलवेज अ नवोदयन। यानी कि एक नवोदयन अपने अन्दर से नवोदय को कभी नहीं निकाल पाता।  नवोदय एक एहसास है जो ताउम्र इनके साथ रहता है।  वो सात साल हर एक नवोदयन कि जिन्दगी का सबसे सुनहरा वक़्त होता है.  अगर टाइम मशीन होती तो हर एक नवोदयन वापस उसी स्वर्ग मे जाना चाहता। जिन्दगी कि सबसे खूबसूरत यादें उसी स्वर्ग मे आज भी कैद है. मेरी जिन्दगी का सबसे बड़ा हासिल यह है कि मैं नवोदयन हूँ. और आज मेरे  स्वर्ग का जन्मदिन है। और हां नवोदय का मोटो है ...शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए.

Irrespective of color, caste, position, we all have one God

We are the children of Mother Earth, Earth should be the place of worship

The Lotus Flower of Worship is blooming, we are in the water

For the new spring of Sarvodaya, we are Navodaya

We are the new Bharati of the new era, the new Aarti

 

Time never stops, but even today these lines are enough to stop every navodya student for a moment. If I say that Navodaya is the real picture and destiny of India, then it will not be an exaggeration. Color, appearance, caste, high and low, discrimination, all these evils have no place in this heaven. Pragyan Brahma means pure knowledge equal to God. Under the second education policy of independent India, on April 13, 1986, the then Prime Minister Shri Rajiv Gandhi established a school more beautiful than this heaven.
This policy was introduced to remove disparities and equalize educational opportunities. Rajiv ji's aim was clear, to provide the best education to all. These residential and free schools were opened in every district of India for the children of different parts of the country, especially villages, except for Tamil Nadu. Admission to Jawahar Navodaya Vidyalayas is primarily for children from rural areas, with at least 75% seats available for rural children. Seats are reserved for children belonging to SC and ST communities in the district in proportion to their population but not less than the national average. 1/3 of the seats are filled by girl students. 3% seats are for children with physical disabilities. For admission, an entrance test is conducted for the students of class 5, for which the Application process is online, the applicant must be a candidate of class 5. 80 students were selected from each district.

Under the pilot project, the first two model schools were opened in Jhajjar Haryana and Amravati Maharashtra. 1991 Navodaya Vidyalaya was renamed as Jawahar Navodaya Vidyalaya. Today there were 661 Navodaya Vidyalayas in India, from which more than 20 lakh students had received education so far.

The quality of Navodaya can be gauged from the fact that today 20 lakh Navodayas are hoisting their flag not only in India but in every part of the world. Doctor, Engineer, Civil Servants, CA, Politics, Social Work, Business, there is no such field where there is no Innovation. And believe me where it happens it is the best. 7 years from class 6 to 12 a child gets there everything that makes him better than others. The most beautiful feature of Navodaya is that this institute makes a human being, and it teaches a philosophy of life, the true meaning of friendship. The friendship started in 6th class never ends, nor do other people of Navodayan become friends. They have a different world.

Once a Navodayan, Always a Navodayan. That is, a Navodayan can never extract Navodaya from within. Navodaya is a feeling that stays with them for life. Those seven years are the most golden time in the life of every Navodayan. If there was a time machine, every Navodayan would want to go back to that heaven. The most beautiful memories of life are still imprisoned in the same heaven. The biggest achievement of my life is that I am Navodayan. Today is my heaven's birthday. And yes, the motto of Navodaya is... come to learn,  go for service.


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