मैं और तुम
झीलों सा पावन तू पानी
प्रेमचंद की अमर कहानी
मैं हाला मधुशाला वाला
तू है मेरी प्यास पुरानी....
मैं "दिनकर" का सूर्य हूँ तपता
तू गँगा का पावन पानी
मैं जो हूँ "ग़ालिब" का सपना
तू मेरे सपनो की रानी।...
मैं मदिरालय "बच्चन" वाला
तुझे है मेरी प्यास जगानी
भर भर पी लू बन मतवाला
तुझे होंठो की प्यास बुझानी
में "विश्वास" का दीवानापन
तू है चाँद का कट्टर सानी
में महाभारत "वेदव्यास" की
तू द्रौपदी की लाज़ पुरानी..
तू भारत के नक़्शे जैसा
मैं हूँ जमुना घाट का पानी
तू मैसूर सा साफ़ शुद्ध तो
मैं बम्बई की मस्त जवानी
सुपरफास्ट तू "शालीमार" सी...
लेट कभी ना जो है आनी...
मैं लोकल हूँ बम्बई वाली
पल पल आनी पल पल जानी..
झीलों सा पावन तू पानी
"प्रेमचंद" की अमर कहानी.......
ब्लेंकराइटर
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