आँखे
काली काली झील सी गहरी आँखे चुप रहती है...
ख़ामोशी के साये से पर कुछ कहती है....
कुछ कहती है चुप सी आँखे...
ना जाने कौन सा दर्द ये सहती है...
कुछ कहती है...
हर पल कुछ कहती है
कुछ सपने बिखरे है उन आँखों में...
हर सपने से डर कर चुप रहती है
बहुत कुछ कहती है ....
ये खूबसूरत आँखे....
-ब्लेंक राइटर
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