हम बताएगे
हम बताए तुम्हें तुमने क्या खोया है।
बंज़र ज़मीन में काटों को बोया है।
ये धरती भी रोएगी„ चीखेगी बादिया
ये कौन तड़पता इंसा मेरी गोद में सोया है।
और कल जब तुम किसी और के हो जाओगे
हम यहाँ रोते रहेगे तुम वहां सो जाओगे
रात काली दिन भी काला और काली किस्मते
क़त्ल कर तुम इश्क मेरा ख़्वाब में खो जाओगे।
जब छुएगा वो जो तेरी माँग का हकदार है।
वो ही तेरा आत्मबल और वो ही पहरेदार है।
उस धरा को इस धरा पर कोई धर सकता नहीं।
में मकां जो बन गया तो वो तेरी दीवार है।
खून के आँशु निकलते मोम सी इस आँख से
तू हमें नकार दे अब ये हमें स्वीकार है।
इश्क़ अल्फाजों में है बिखरा शब्द लेते करवटे
अंत मेरा "राम सत्य" तेरी जय जयकार है
-ब्लेंक राइटर
Comments
Post a Comment