तुम्हारे पास

जब कभी तुम पुकारो नाम मेरा
में चला आऊगा तुम्हारे पास...
उड़ता हुआ हवाओ में...

बहता हुआ नदी की धार में कल कल....
और शायद मुझे लेना पड़े पंखो का सहारा

किसी नन्नी सी चिड़िया का...
देखा है क्या तुमने कभी
किसी इन्सां को लेते हुए सहारा

और जब में आऊगा पास तुम्हारे
गायेगी फ़िज़ा,खिल उठेगे नज़ारे
और जो तड़प रहे है सदियो से मिलने को
चूम लेगे एक दूजे को वो प्यासे किनारे...

पत्थर भी मुस्कुरायेंगे
फूल खिलेंगे उन पर
नाचेंगे गायेगे

और फिर तुम मुझे भर लेना अपनी बाहों में
पलके ना उठाना ,खो ना जाऊ निगाहो में...
उसी पल ये धरती अम्बर मिल जायेगे
जिस पल हम तेरी बाहों में आयेगे।
-ब्लेंक राइटर

Comments

Popular Posts