माँ

ना मंदिर में पाया, ना मज़्ज़िद में पाया
उस दवा के लिए में कावा-काशी घूम कर आया
फिर मिल गयी मुझे मेरे हर दर्द की दवा
माँ तूने जब मुझे अपने सीने से लगाया
-ब्लेंक राइटर

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