ग़ज़ल
ज़िन्दगी की परछाई में मौत का साया है।
तेज़ हवाओ ने आज चिरागों को जलाया है।
तेज़ हवाओ ने आज चिरागों को जलाया है।
सुबह जगाना कि ख़्वाब ना टूटे
यहाँ मुर्दों को भी नींद में सुलाया है।
ताक़त ऐ दुआ अपनी तुझे ज़र्रे में मिला देगी
हमने ज़मी पे आज आसमां को बुलाया है।
हमने ज़मी पे आज आसमां को बुलाया है।
तुम हसीन रातो में सोते रहें आज तक
हमने तड़कती धुप में सूरज को जलाया है।
हमने तड़कती धुप में सूरज को जलाया है।
मौत के दरवाज़े पर रोक दी है ज़िन्दगी हमने
ख़ुदा से कहा "अरे अभी तो उसे पाया है"
-ब्लेंक राइटर —
ख़ुदा से कहा "अरे अभी तो उसे पाया है"
-ब्लेंक राइटर —
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