शेर

हजारों ज़ाम पिए इस ज़माने में हमने
तुझ को कभी मापा नहीं पैमाने में हमने
पर जब तरसते देखा खुद को उसी ज़ाम के लिए....
तो फ़िर लगा दी आग मयखाने में हमने
-ब्लेंक राइटर

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