हम मौहब्बत के हारे

हम मौहब्बत के हारे मगर अपनाने के काम आएँगे
वफ़ा की किताबों में पढ़ने और पढ़ाने के काम आएँगे

जो गुज़र रही है ज़िन्दगी हमारी बग़ैर उनके
वो दर्द के पल ज़न्नत में गुज़ारे के काम आएँगे

वो जो सपनों में दिया था उन्होंने काँधे हमारे जनाज़े की
वही काँधे तो अब सहारे के काम आएँगे

मुफ़्लसी का आलम उस वक़्त कुछ यूँ रहेगा जनाब
लकड़िया नहीं होगी और हम जलाने के काम आएँगे

-ब्लेंक राइटर

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