बहना
एहसास कुछ यु दफ़न है सीने में
चाँदनी को समेटे हुए
कुछ यूँ पुरानी यादों का एक हसीं सा मुखोटा पहने हुए।
वो बचपन की सुहानी यादें
लड़ना झगड़ना और तेरी बाते
अतीत के गलियारों में से आवाजें आती हैं बचपन की उन हसीं शरारतों की।
हमारी स्मृति में धुँधली सी पर यादगार तस्वीरें होती हैं हमारे बचपन की
बहना वो हमारी प्यारी उन शरारतों की यादें आज भी मेरे ज़हन में ताज़ा है।
ज़िंदा है वो यादें जिसे याद करते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और खुल जाती है दास्ताँ हमारे प्यार की।
बहना तेरा और मेरा नाता बहुत गहरा है।
ज़िन्दगी के पटल पर तेरी यादो का पहरा है।
और हमारा रिश्ता
यह रिश्ता तो बहुत प्यारा है।
इस रिश्ते में हमारा बचपन कैद है।
जिसे हमने बेफिक्र होकर पूरे आनंद से जिया है।
बहुत जिया है ।
हालाँकि आज हम रिश्तों के कई पायदानों पर चढ़ गए हैं परंतु हम अपना सुनहरा बचपन नहीं भूले हैं
वो हसीं पल बहना जो साथ हमने गुज़ारे थे।
कुछ मेरे थे पर मुझसे जादा तुम्हारे थे।
वो मेरा छोटी छोटी बातो पर रूठ जाना
तुम्हारा प्यार से "क्यों भैया सही रही" कहना मेरा झट से मान जाना
कुछ तुम नखरे खाती थी
कुछ में रूठ जाती थी
हम यूँ ही लड़ते रहते थे
और छुट्टियाँ बीत जाती थी।
बहना तेरी वो सारी बाते बहुत याद आती है।
दिन साल बीत जाते है
बस यादे याद रह जाती है।
वो हँसना तेरा मुस्कुरा कर यूँ शरमाना.....
मुझसे हर दम लड़ना और मुझे ही मनाना
ना बात है पूरी लगती अब
हर शाम अधूरी लगती अब
तुम बिन ये धरती बादल बन
हर याद अधूरी लगती अब...
तुम बिन ये मौसम शाम शहर यूँ सुना सुना लगता है।
हर मौसम तुम संग अब मुझको यूँ भीना भीना लगता है।
बहना आधुनिकता की आँधी की हर मार ये रिश्ता सहता गया
और साफ़ और पाक और गहरा होता गया
बहना बस इतना कहना है।
हर पल संग तेरे रहना है।
कुछ बाते पूरी करनी है।
कुछ यादे पूरी करनी है।
न स्वार्थ की भावना
न इच्छाओं का अवलंबन
चट्टान सा मजबूत है
तेरा मेरा बंधन
मेरी बहना तूम रूह हो मेरी
मेरी छाया हो तुम
समुंदर के किनारों पर लहरों के साथ बह कर आती रेत पर
दिखती तस्वीर तुम्हारी हर वक्त
मेरे लिए तुमने बचपन में कितनी डाँट खाई है
मुझे याद है तुम बनती थी मेरे लिए बचपन में
मेरा कवच मेरी ढाल
बिना कुछ चाहते हुए बिना किसी आस के
बस तुम मेरे लिए बनती थी मेरा कवच
मजूबत कठोर...
जिसको पापा की डाँट रुपी तीर कभी भेद नहीं पाए
तुमने कभी मुझसे कुछ नहीं माँगा बस दिया
बहुत प्यार आशीर्बाद
तुम भरती रही
मेरी झोली
मंगलकामनाओं से
बहना तुम्हे याद है वो पल
बागों में हम तितलियों के पीछे
भागते थे आज कल
मैं पकड़ न पाती
तुम पकड़ कर लाती
इतना प्यार था हम फिर भी कितना लड़ते थे
पेंसिल कटर इरेजर होती थी झगड़े की जड़
जाने कब
हम बड़े हो गए
अपनी-अपनी ज़िन्दगी
अपनी-अपनी जिम्मेदारी
आज इस मोके पर मन कर रहा है तुम्हे एक तोहफ़ा देने को
असमंजस में है मेरा मन क्या दूँ तुम्हें
इस मोके पर तुम्हे महँगा सा उपहार दूँ
मोल लगाऊ पैसो से या ढ़ेर सारा प्यार दूँ
क्या दूँ तुम्हें है ही क्या मेरे पास
बस एक कविता...
और उस कविता में
दुआए ही दे सकती हूँ
जो रखे सदा तुम्हे खुश
तुम्हारे नए जीवन में ,
मेरी दुआ है तुम हमेशा खुश रहो
मोर की तरह चेहकती रहो
तुम जिस आँगन में जाओ
वहाँ सदा रौशनी फैलाओ
खूब हँसो सबको हँसाओ
धर्म करम मान मर्यादा से
अपने नए घर को सजाओ
उस आँगन में सदा गुलाब
खुशियों के महके जाओ तुम जाओ
नए नए लोग मिले तुम्हे
तुम सबको अपनाओ
सब बहुत पसंद करे वहां तुम्हे
प्यार सभी बड़े बुजुर्गो का पाओ
ईश्वर से प्राथना करती हूँ
कोई जाकर ईश्वर से कह दे
मेरी सारी खुशियाँ तेरी हो
तेरे सारे गम मुझे दे दे...
यूँ तो इतना सुंदर है जग
कितना प्यारा संसार
इस जग में है सबसे ऊपर
तेरा मेरा प्यार...
और बहना तू मेरी मैना
कोयल तेरा प्यार...
गँगा सा पावन पानी है
तेरा मेरा प्यार....
प्रीत पराई है तू बहना कल तू चली जायेगी
सबको छोड़ देगी तू सबको रुलाएगी
हम सबको छोड़ कर बाबुल घर चली जायेगा
जा बहना तुझको जाना है
एक नया घर बसाना है।
जिस इस दिल के घर में किसी को कोई स्थान ना मिलेगा
ना इस घर में नया फ़ूल खिलेगा
होंठों पे तेरे मुस्कान सजेगी
नए घर में तुझको मान मिलेगा
तुम जहाँ रहो मुस्कुराती रहो
हर पल मधुर गीत गाती रहो
तुम मुस्कुराती रहो...
तुम मुस्कुराती रहो....
ब्लेंक राइटर
Comments
Post a Comment