समय
इस जीवन के भवसागर को पार वही लगाएगा
रोम रोम हो जिसका पुलकित गीत मधुर जो गाएगा
उस मानुज को भी तो एक दिन
छोड़ के सब जाना होगा
मोह माया के इस जग से
उसको छुटकारा पाना होगा।
तब वो मानव समझ सकेगा
कुदरत के इस खेल को
रचने वाला है वो भगवन
उसी से अपना मेल हो।
इस जीवन के भवसागर को पार वही लगाएगा ।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पायेगा
थम जायेगी साँसे एक दिन वक़्त भी ऐसा आयेगा।
होगा एहसास तुझे उस वक़्त
अंत समय जब आएगा
रोएगा,चिल्लाएगा, चीखेंगे
पर कुछ नहीं कर पाएगा
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा
थम जाएगी साँसे एक दिन वक़्त भी ऐसा आएगा।
यह जीवन है चंद दिनों का
नहीं किसी का हो सकता
मरना है,मारना ही होगा
कोई नहीं बच पाएगा
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा...........
किये गए हर एक कर्म का
सही-सही आकलन होगा
क्या खोया क्या पाया तूने
सामने सब आ जाएगा
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा............
जब अँधेरा सम्मुख होगा
रौशनी को ललचायेगा
फिर धीरे-धीरे आँखों में तेरी
अंधकार छा जाएगा।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा............
सच्चाई का जीवन अच्छा
बाकी सब बेकार है।
उठ मानव सम्हल जा वरना
बाद में फिर पछताएगा।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा...............
माँ-बाप की कर ले सेवा
माँ का आँचल जन्नत है।
फिर ऊपर वाली जन्नत में
यह सुख ना मिल पाएगा।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा.....
समय चक्र की मार अजब है।
जो बचा वो इंसान गजब है।
बचना है तो आज ही बच ले
बाद में ना बच पाएगा।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा...............
यह जीवन है समय का पहिया
नहीं कभी है यह रुकता
चलता था,है आज भी चलता
आगे भी चलता जाएगा।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा.........
शेष बचे इस जीवन में अगर
कुछ कर लिया तो बंदे
मरने से पहले यह जीवन
धन्य-धन्य हो जाएगा।
हे इंसा मत भाग मौत से दूर नहीं जा पाएगा
थम जाएगी साँसे एक दिन वक़्त भी ऐसा आएगा।
-ब्लेंकराइटर
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