तुम आना

काली रातों की गहरी छाव से
तुम चले आओ दबे पाँव से।
गर गहरा है इन रातों का समुंदर
तो फ़िर आ जाओ मेरी मौहब्बत की नाव से

काली रातों की गहरी छाव से.....

कुछ लोग शायद तुम्हें पुकारें
कुछ अपनाये कुछ नकारे
उस मिले जुले प्रतिकार से
चलो भी आओ ज़रा प्यार से

काली रातों की गहरी छाव से

है धूप यहां खिली खिली
तुमसे जो कभी ना मिली
उस धूप को निखार दो
आओ मुझे प्यार दो।

पर आना धीमें पाँव से
मेरी मौहब्बत की नाव से

और जब तुम आ जाओ तो बता देना
मैं शायद सोता मिलूँ तुम जगा देना
मैं जाग जाऊँगा उस नींद से
तुम ज़रा किरणों सी खिलखिला देना।

तुम आ जाना ना किसी काम से
पर आना दबे पाँव से
मेरी मौहब्बत की नाव से।

चलों अब तुम आ जाना जब आना हो
समाज का बँधन तोड़ मुझे अपनाना हो
जब तुम्हें लगे हमारा मिलन भी ज़रूरी है।
तब तुम आना जब तुम्हें भी मुझे पाना हो।

तुम आना मेरे पास मेरे नाम से
पर आना दबे पाँव से
मेरी मौहब्बत की नाव से।

होंठों को चूमना मेरे की कोई देखें नहीं
ख़ुशबू इसकी हवाओं में महके नहीं।
उस अनमोल पल में तुम कुछ कहना नहीं
आवाज़ हमारे मिलन की चहके नहीं।

आगे ना निकल जाना उस मुक़ाम से
तुम आना मेरे नाम से
दबे पाँव से
मेरी मौहब्बत की नाव से।
ब्लेंकराइटर


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