शर्मा और सेन
तालियों की गड़गड़ाहट,हवाओं में ख़ुशी बिखरी हुई।
माँ बाप की आँखों में ख़ुशी के आँशु
और छाती गर्व से फूली हुई।
अब में मंच पर बुलाना चाहूँगी उन्हें जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितिया होने के बाबजूद भी upsc की परीक्षा उत्र्तीण कर परिवार का और हमारे गाँव का नाम रोशन किया ।
अनिल जी से अनुरोध है की वो आये और दो शब्द कहे
(मंच संचालक की बात खत्म होते ही अनिल अपनी कुर्सी से लोगों को संबोधित करने के लिए उठने ही वाला था कि माँ की आवज उसके कानों में पड़ी...
उठो सुबह हो गयी काम पर नहीं जाना क्या....
नींद खुलते ही अनिल जैसे अपना होश खो चूका था।
मानो उसकी दुनिया उजड़ गयी हो
3 सालों से दिन रात मेहनत करके भी वह upsc में चयनित नहीं हो पाया था।
ग़रीब होने की वजह वह एक कपड़े की दूकान पर काम करता और रात को पढ़ाई करता।
2 दिन पूर्व ही उसका रिजल्ट आया था और उसे नाकामी हाथ लगी थी।
वह उठा और दूकान पर जाने के लिए तैयार हुआ की अचानक दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी....
अनीता ओ अनीता
(पड़ोस में रहने वाली सीमा ने आवाज़ दी)
हाँ मालकिन कहिए
अनीता ने अपनी साड़ी ठीक कर हाथ जोड़ कर कहा
आज शाम जल्दी आ जाना रोहन के सम्मान में एक पार्टी रखी है।
बहुत लोग आएंगे तो काम रहेगे
और अपने बेटे को भी ले आना
वो भी कुछ पैसे कमा लेगा
(सीमा ने अकड़े हुए सुर के कहा)
कैसा सम्मान मालकिन
(अनीता ने दबे हुए सुर में पूछा)
वो रोहन का चयन हुआ है upsc में तो
(सीमा में गर्व से कहा)
और इतना कहकर दरवाज़े से ही चली गयी।
पीछे खड़ा अनिल सब सुन रहा था।
रोशन और अनिल साथ खेले बड़े हुए थे।
अनिल को जैसे झटका सा लगा वह रोहन से बेहद उम्दा विद्यार्थी था।
फिर भी उसका चयन ना होकर रोहन का हुआ।
उसने एक दोड़ मारी और सीधा इंटरनेट की दुकान पर रुका
और दोनों का रिजल्ट देखा।
रोहन के नंबर बेहद कम थे।
निराश अनिल अपनी कपड़े की दुकान चला गया
शाम को रोहन की पार्टी में जाने की जगह जन्नत के लिए चल दिया
उस सपने के लिए जो उसने आज सुबह देखा था।।
इस उम्मीद में की शायद उस दुनिया में
अनिल शर्मा और रोहन सेन
के बीच का फर्क उनकी जात तह ना करे.....
मंच पर रोहन की तारिफ़ो के पुल बांधे जा रहे थे और अनिल की माँ इंतज़ार में थी की कब काबिल बेटा आए और नाकाबिल होने वाले कलेक्टर की पार्टी में शरबत बाटे....
-ब्लेंक राइटर
©sankalp jain
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