इंसानियत संकट में

में रोड पर टहल रहा हूँ।
और मेरे सामने एक करीबन 25 लाख कीमत की कार खड़ी है।
और रोड के किनारे ही 2 मुस्लिम भाई लोग ज़मीन पर कपड़ा बिछा कर अपने खुदा को याद कर रहे है।
अमीर मालूम होते है ये लोग।
फिर क्या मज़बूरी है इन लोगो की जो इस तरह रोड किनारे वो अपने खुदा को याद कर रहे है।
जबकि खुदा का दिया सब कुछ है इनके पास....
चुपचाप आए चाय की दुकान पर में बेठा उनके एकाएक तके जा रहा था।
आकर मेरे पास ही बेठे
चाय पी
बेइंतेहा तहज़ीब से उठे
पैसे दिए
और एक मुस्कराहट के साथ चले गए।
जाते जाते एक बात उस मुस्कुराहट के साथ कह गए की
हम भी इंसान है।
में उनमे इतना खो गया था की बाजू में कुछ लड़को की चल रही बहस कि सलमान ,आमिर खान और सारे मुस्लिम आतंकबादी होते है।
इस बहस पर मेरा ध्यान तो नहीं गया शायद उन्होंने सुन लिया होगा।
वो लोग जा चुके है।
और में यही सोच रहा हूँ कि....
अगर मुस्लिम आतंकबादी होते है।
तो यही धर्म सबसे अच्छा है।
क्योंकि जो मुस्लिम होते है।
वो आतंकबादी नहीं हो सकते...
जो आतंकबादी होते है।
वो इंसान नहीं हो सकते...
हां जाते जाते उन्होंने ज़मीन पर पड़े उस कागज़ को भी चूमा और बेहद अदब के साथ उठा कर किनारे से रख दिया
जिस कागज़ पर उस धर्म के भगवान की तस्वीर बनी थी।
जो धर्म आतंकबादी नहीं होता....
एक बात सिखा गए कि,....
कर्म करो...
दिल से...

Comments

Popular Posts