पैगाम
मुझे एक पैगाम लिखना है।
उसमे नए आयाम लिखना है।
अपनी ज़िंदगी का एक एक पल
अब मुझे तेरे नाम लिखना है।
तेरी बाहों में जो गुज़र सके
ऐसी कोई शाम लिखना है।
ताज़ महल गर है ख़ूबसूरती की मूरत
तो उसे भी तेरे आगे आम लिखना है।
और जो किये है मैने तुझे पाने के लिए
हर वो एक एक मुझे काम लिखना है।
नशा जो कभी चढ़ा ही नहीं मुझ पर
उस मधुशाला को भी एक जाम लिखना है।
अपनी ज़िन्दगी का एक एक पल
अब मुझे तेरे नाम लिखना है।
मुझे एक पैगाम लिखना है।
-ब्लेंक राइटर
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