रास्ते

यह रास्ते अजीब है, मंजिल के जो करीब हैं।
सफर नया -नया सा है, पथिक बहुत अजीज हैं।

चले जो मेरे साथ थे,रूके नही थके नही।
मिली नही बहार भी, सफर मगर हॅसीन है।

कुछ रास्ते नए मिले ,अभी मिले ,पथिक मिले
जो मंजिले मिली नहीं , फिर रास्ते ये क्यों मिले।

-ब्लेंक राइटर

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