मौर्य, माया और महासंग्राम
बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता और
जनरल सेक्रेटरी स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जून दिन बुधवार दोपहर पार्टी से यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि मायावती दलित नहीं, दौलत की बेटी हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज़ से बहुजन समाज पार्टी को यह बड़ा झटका साबित हो सकता है।
कौन हैं मौर्य ?
-2 जनबरी 1954 को प्रतापगढ़ में जन्म
-भारत के चुनिंदा शिक्षित नेताओ में से एक
- पद्रौना विधानसभा सीट से विधायक
- चार बार विधायक रहे।
- BSP नेता प्रतिपक्ष रहे।
मायावती पर आरोप- मौर्य का कहना है कि बसपा प्रमुख मायावती ने अंबेडकर और काशीराम जैसे महापुरुषो के विचारों के साथ गद्दारी की है।
साथ ही मौर्य का कहना है कि मायावती टिकटों की दलाली करती है जिसकी वजह से बसपा 2012 का चुनाव हारी।
मायावती का पलटबार- प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा
-मौर्या कभी चुनाव नहीं जीते वो एक हारे हुए नेता है।
-मौर्य गद्दार है,उनको अब कभी पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा।
- उन्होंने पार्टी छोड़ कर हम पर उपकार किया है। वरना हम उन्हें निकाल देते।
साथ ही मायावती ने एक एहम बादा भी किया कि मौर्य की गलती की सजा उनके समाज को नहीं मिलेगी।
यूपी में करीब 8.6 फ़ीसदी शाक्य,कुशवाहा,सैनी जाति के लोग हैं।
बरहाल पेड़ से कोई भी डाली टूटे तो नुकसान दोनों को होता है।
अब देखना यह होगा की इस अलगाव से किसे जादा नुकसान होता है।
बसपा रुपी पेड़ को या स्वामी रुपी डाल को
आगामी विधानसभा चुनाव पर असर-
मौर्य एक उम्दा नेता की छबि रखते है।
वह दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं।
अब देखना होगा दलितों के वोट बसपा के साथ रहेगे या स्वामी के...
अगर मौर्य सपा में जाते है तो यह वोट बैंक सपा का हो सकता है।
बसपा का दामन छोड़ने के बाद उनके सपा में शामिल होने की अटकलें लग रही थी और यहां तक कि उन्हें प्रदेश मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती थी पर स्वामी ने अपने इस बयान से इन अटकलों पर विराम लगा दिया है।
मौर्य ने कहा-सपा गुंडों की पार्टी है।सपा यूपी को सांप्रदायिकता और जातिबाद की आग में झोंकना चाहती है।
इस वयान पर सपा के वरिष्ठ आज़म खां ने कहा कि जहां से आए हैं वहीं लौट जाए मौर्य
दोनों के वयानों से कुछ हद तक यह तो साफ़ हो गया है कि ना मौर्य सपा का दामन थामने वाले है,और ना ही सपा उन्हें अपनाने के मूड में है।
देखना होगा अब स्वामी का अगला कदम क्या होंगा..?
वही दूसरी ओर सपा में भी उठा पटक ज़ारी है।
माफ़िया मुख्तार अंसारी की पार्टी "कौमी एकता दल"से सपा का किनारा,बर्खास्त बलराम यादव को फिर से मंत्री बनाना।
सपा-बसपा के इस संग्राम पर भाजपा की पैनी नज़र रहेगी देखना दिलचस्प होगा कि क्या उत्तरप्रदेश को भाजपा के रूप में एक नई सरकार मिलेगी या जातिबाद की ये राजनीति फिर से उत्तर प्रदेश की तकदीर लिखेंगी।
Comments
Post a Comment