कहाँ जाना है

कहाँ जाना है कि सफ़र बहुत लंबा है।
मेरी माँ की दुआओं का असर बहुत लंबा है।

भटकते माँझी को किनारे की तलाश है..
उसे क्या मालूम ज़िंदगी का समंदर बहुत लंबा है।

मेरा क़त्ल करने की आरजूँ लेकर तुम आना
देखना हैं तुम्हारा ख़ंजर कितना लम्हा है।
-ब्लेंक राइटर 

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