पति होगा वो तुम्हारा ,क्या प्यार भी होगा।

मुझे तड़पते छोड़ना आसान था
या कुछ तकलीफ़ तुम्हें भी हुई
वो सारे सपने तोड़ना आसान था
या कुछ तकलीफ़ तुम्हें भी हुई

ऐसे कुछ सवाल है जो
हर रात परेशान करते है मुझे...

बहुत कुछ है इस दिल में जो मर चुका है।
एक ख़ामोशी का साया घर कर चुका।

और फिर वो दिन भी आ ही जाएगा
जब कोई तुम्हें लाल जोड़े मे सजाएगा।

यक़ीं मानो बेहद ख़ूबसूरत लगोगी तुम
हुस्न की मल्लिका,कोई मूरत लगोगी तुम

फिर एक ऐसा पल भी आएगा
मंगलसूत्र तो होगा पर कोई और पहनायेगा...

फिर जब वो तुम्हारी माँग भर देगा
मेरे सारे हक़ वो अदा कर देगा

फिर मेरे हर सपने पर उसका अधिकार होगा
पति तो होगा वो तुम्हारा पर क्या प्यार भी होगा?

बस इसी सवाल का जवाब ख़ामोशी हो
तो शायद ज़िंदगी में कुछ बहार होंगी

क्यूँकि 'हाँ' और 'ना'
दोनो में तो मेरी हार होगी।
-ब्लेंक राइटर

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