शेर
ज़माने कि सोचते सोचते ज़माना गुज़र गया
इसी सोच ने सबको बर्बाद किया है|
बेहतर है वो किराए ली कोंखे
न जाने कितने घरो को आबाद किया है |
-ब्लेंक राइटर
इसी सोच ने सबको बर्बाद किया है|
बेहतर है वो किराए ली कोंखे
न जाने कितने घरो को आबाद किया है |
-ब्लेंक राइटर
Comments
Post a Comment