देश के गौरव हैं जो, जिनसे वतन गुलज़ार अपना

देश के गौरव हैं जो ,जिनसे वतन गुलज़ार अपना
देश की गरिमा के ख़ातिर ,वो लहू में सन गए हैं

शौर्य जिनका सूर्य जैसा तपता है दिन रात रण में
वो पिघल कर इस धरा की शृंगारदानी बन गए है

शृंगार फीका माँग सूनी ,काजल नयन से बह गया हैं
पत्र आया एक जो था वो निशानी रह गया है
हैं अमर बलिदानी वो जो मर के यम को हर गए हैं...

देश के गौरव हैं जो जिनसे वतन गुलज़ार अपना...
देश की गरिमा के ख़ातिर ,वो लहू में सन गए हैं

रात भर पोंछा नहीं सिंदूर जिस देवी ने अपना
वो हिमालय के मुकुट की ज्वलन आभा हो गए है...

लाबा जिनका रक्त ,जिनकी कर्ण सी प्रस्तर भुजाएँ
छल से पाकिस्तानी कुत्ते ,शेरों को छल गए हैं.।
-ब्लेंक़ राइटर

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