लबों की मुलाक़ात

फूलों की ख़ुशबू हर पल साथ थी
गुलाब से लबों की हाये क्या बात थी
हम भी थे वो भी थे
और उनके लबों की महक साथ थी

जब चूमा उन लबों ने माथे को मैंरे
खुदा क़सम दिल थम गया
साँस भी बेसाज़ थी

हम ने जब देखा लबों को उनके
उनमें अथाह समंदर की प्यास थी

मैं भी चूमू माथे को उनके
उस वक़्त मैंरे लबों की यही आवाज़ थी

ना मैंने कुछ कहा
ना वो कुछ बोली

वो सिर्फ़ लबों से
लबों की मुलाक़ात थी
-ब्लेंक़ राइटर

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