क्यूँ ये दिल बेक़रार होता है

क्यूँ ये दिल बेक़रार होता हैं
बंद आँखो से भी तेरा दीदार होता हैं

ज़िंदगी मेरी तेरे इकरार से हैं, तुम जानती हो
फिर क्यूँ तेरा हमेशा इंकार होता हैं

मौहब्बत नाम है वफ़ा और यक़ीं का
यक़ीं टूटे तब कोई रिश्ता दाग़दार होता हैं

तू बेवफ़ा हैं ये जानता है दिल
बेवफ़ा हैं ये भी तभी तो बेक़रार होता है

इश्क़ में कभी भी शक़ नहीं करते , अच्छा है
महबूब के झूठ पर भी ऐतबार होता हैं

जब पाते पाते मंज़िल को रास्ता खो जाए
तो ना फिर कोई सपना साकार होता हैं

क़त्ल करके भी तुम भगवान बन बैठे
क़त्ल होकर भी क्यूँ ‘संकल्प’ गुनहगार होता हैं
-ब्लेंक़ राईटर


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