तेरे आँसू क्यूँ मेरी आँखो से बहे थे।

तुझे जाते जाते अपनी
पलकों के उन मोतियों से पूछना था
जो कभी मेरी आँखो से बहे थे
तेरे सारे दर्द क्यूँ मैंने हँसकर सहे थे

दर्द से दर्द मिला
तन्हाई से सूनापन
खो दिया मेने ख़ुदको
रो दिया ये मन

टूटा दिल है दर्द से ही निखरेगा
पत्थर है ये टूट के भी ना बखरेगा
-ब्लेंक़ राइटर

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