"बेटियां"


इस जीवन के भवसागर को पार लगाती है बेटियां
हर दुःख को हँसकर अपनाती है बेटिया...
हर दर्द सहती है ना जाने क्यों ये मासूम
ख़ुद रोकर दूसरों को हँसाती है बेटियां....

हर बाप की इज़्ज़त को बचाती है वो
घर का ग़ुरूर कहलाती है बेटियां

बचपन से सिखाया जाता है चुप रहना उनको
जुबां होती है मगर मुँह नहीं खोलती है बेटियां

कुछ अक्श ख़ुद का जिसमें समाया है।
तभी तो खुदा ने बेटियों को बनाया होगा...
हर हाल में समझौते करती है।
समझौते की मिसाल होती ही बेटियां...

मर्द पैसे कमाते है तो बहुत फक्र होता है खुद पर
दो कुनबो की इज़्ज़त सम्हाल "कमाल " करती है बेटियां

ऐ मालिक अब तो कमाल कर दे।
जीवन बेटियों का ख़ुशहाल कर दे।

सिमट जाती है ज़िंदगी उनकी कुछ गलियारों तक
ख़्वाब देखती है वो फ़लक़ से सितारों तक

परमात्मा उनको जीने की शान दो
करे विरोध ज़ुल्म का ऐसा वरदान दो

( मूल रूप में ही शेयर करें..एडिटिंग कटिंग पेस्टिंग न करें)
-‪#‎ब्लेंकराइटर‬

Comments

Popular Posts