मामूली सा है....

मामूली सा है वो पर उसे गुमान चहिए
में इनसां हूँ मुझे ईमान चहिए।
माँ बाप के चरणों को उसने देखा नहीं आज तक....
पत्थरों को पूजता है उसे भगबान चहिए

करता है ज़लील वो घर में अपने बाप को
बेटे से कहता है मुझे सम्मान चहिए।

फ़र्ज़ से भागा क़िस्मत को कोशा हरपल
मंदिर में कहता है इनाम चहिए।

दूसरों की बहु बेटी को नज़रों से चीरता है
अपनी बेटी के सम्मान का उसे अभिमान चहिए।

किसान बाप ने खून से सीच कर उसे पाला था।
बेटे से कहता है "मुझे ना किसान" चहिए।

-ब्लेंक राइटर

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