एक शायरी

कभी जो दूर जाता हूँ ये साँसे रुक सी जाती है।
तेरी बाहो में आता हूँ तभी तो सांस आती है।
बहुत ही ढीट सी है चाहतो की ये हवा जानम....
महल जब जब बनता हूँ तभी तूफान लाती है।
-ब्लेंक राइटर

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