#असहिष्णुता....""गंभीर मुद्दा या हवाबाजी""
बरहाल ये तो नेताओं का काम है।
हम आते है मुद्दे पर...
कई लोग तो सिर्फ इसिलये अपने अवॉर्ड लोटा रहे है ताकि लोगों तो पता तो चले की इन्हें अवॉर्ड मिला भी था....हाहाहा मजाक था।
कुछ साहित्यकारों ने और बुद्धिजीवियों ने और मीडिया ने भ्रामक प्रचार के जरिये "इनटोलरेंस" का ठप्पा थोपने का दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास किया है. लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के प्रति इतनी नफ़रत...ना जाने क्यों..??
मोदी से इतनी नफरत क्यों...? अगर हम
पचास के दशक में फिल्मो में काम करने वाले सभी मुसलमान अपना एक हिन्दू नाम रखते थे .. क्योकि उस समय देश के बंटवारे के फलस्वरूप मुस्लिमो के खिलाफ माहौल था ..
मीना कुमारी, मधुबाला और तो और सुपर स्टार दिलीप कुमार उर्फ़ युसूफ खान सब के सब मुस्लिम थे ..
आज देखिये .. कोई भी मुस्लिम कलाकार हिन्दू नाम से फिल्म में अभिनय नही करता ..
क्यों....?
और जो लेखक अपने अवार्ड लोटा रहे है
हो सकता है अपना ही लिखा दोबारा पढकर उनकी अंतरात्मा जाग गई हो या अब उन्हें अपनी कलम पर भरोसा ना रहा हो
अरे आप लोग तो लेखक हो अपनी कलम पर भरोसा रखो कलम में जो ताक़त है वो तलबार में नहीं....
कुछ ऐसा लिखते की सरकार के कान खड़े हो जाते।
इन सब से बस आपकी इज़्ज़त बीच बज़ार में खड़ी हो गयी है।
और #शाहरुख़ जी आपको #डॉन #बादशाह #बाज़ीगर इसी देश ने बनाया है।
अगर असहिष्णुता ही होती तो पता नहीं आप आज कहाँ होते....
बाक़ी सब आप जानते ही है।...क्या सच में ये कोई बड़ा मुद्दा था या सिर्फ बिहार चुनाब के लिए एक साज़िश
बिहार चुनाव का रिजल्ट आने के बाद ना किसी ने कोई अवार्ड लौटाया ना किसी को #असहिष्णुता दिखाई दी
क्या बाकई मोदी जी इतने ताक़तवर है की लोगो को उनके ख़िलाफ़ जीतने के लिए ऐसे रास्ते अपनाने पड़ रहे है।
#असहिष्णुता है कहाँ....?
देश
#आगे देख़ो होता है क्या....
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