"कलाम को सलाम"

अग्नि" को है तूमने जन्मा
तुमसे "पृथ्वी" पाई है।
बेचा था अखबारों को
पर मेहनत ये रंग लाई है।

जीवन की बाधाओ का तुमने
झुक कर यूँ सत्कार किया
इस धरती से उस अम्बर तक
सबको तुमने प्यार किया

धरती सिसकी "आकाश" बिलखा
सबका दिल यूँ रोया है।
कोई ना जाने हमने
इंसा नहीं मिसाइलमेन को खोया हैं।

धरती करती अम्बर करता सब करते तुमको सलाम
जिंदा रहोगे सबके दिलो में..
तुम थे तुम हो तुम रहोगे "कलाम"...

-ब्लेंक राइटर

जब तक सूरज चाँद रहेगा
"मिसाइलमेन" का नाम रहेगा

जब तक सागर में है पानी
"कलाम" तुम्हारी अमर कहानी

माँ का बेटा कैसा हो
मिसाईलमेन के जैसा हो

RIP....
‪#‎RETURN_IF_POSSIBLE‬
WILL MISS YOU SIR

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