संशय
पत्थरों को मुस्कुराते देखा है क्या...?
झरनों को गीत गाते देखा है क्या...??
इंसान तो हँस लेते है गम में भी...
मुर्दों को खिलखिलाते देखा है क्या...?
जो गुमसुम है रात की तन्हाइयो के आलम में
अंधेरो को गुनगुनाते देखा है क्या...?
और हम लोट आएगे उस दुनिया से भी "फ़क़त""
किरणों को सूरज में समाते देखा है क्या....??
ब्लेंक राइटर
Comments
Post a Comment