लौट आओ
कुछ नम सी आँखे तुम्हे बुला रही है।
कुछ रोयी निगाहें तुम्हे बुला रही है।
जो रेत सा ढह गया आँशु संग बह गया....
ठंडी हवाओ को गर्मी में सुला रही है।
चले भी आओं की तुम्हें
सदाए बुला रही है।.....
तुम्हें सदाए बुला रही है।.....
दिल जल रहा है ज़र्द शज़र देख कर
कुछ मोंम सी पिघली तन-बदन जला रही है।
हमारे और तुम्हारे प्यार में फ़र्क सिर्फ़ इतना है "बेग़म"
तुम चेन से सोते हो हमें आहटें जगा रही है।
लौट आओं की तुम्हें
चाहते बुला रही है।
तुम्हे चाहते बुला रही है।
सरकता जा रहा है रुख़ से नक़ाब दिन -ब- दिन
वो पर्दा किए है ख़ुद को बेपर्दा बता रही है।
हर मंज़र फ़ीका हर ख़्वाब अधुरा रह गया
दिन मुझ पर हँस रहे है ये राते रुला रही है।
लौट आओं कि तुम्हे
वफ़ाए बुला रही है।
जिंदा तो हूँ मगर
साँसे सता रही है।
तुम्हें बुला रही है
ब्लेंकराइटर
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